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हिमाचल प्रदेश बिलासपुर महर्षि वेदव्यास की तपोस्थली कर्मस्थली पर (सनौरी न्यूज़ :-“गांव के आवाज”) की तरफ से नव वर्ष विक्रमी संवत 2082व चैत्र नवरात्रों की बहुत-बहुत शुभकामनाएं उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं?????

हिमाचल प्रदेश जिला बिलासपुर महर्षि वेदव्यास व महर्षि मार्कंडेय की कर्मस्थली, मातृभूमि पर 30 मार्च से 6 अप्रैल तक नव वर्ष विक्रम संवत 2082 के शुभ आरंभ पर (सनौरी न्यूज:-" गांव की आवाज")के संपादक मानसिंह ठाकुर सनौरी ने सभी पाठकों को नव वर्ष विक्रम संवत नवरात्रों की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए पूरा वर्ष मंगलमय रहे क्योंकि महर्षि वेदव्यास जी के शिष्य महर्षि मार्कंडेय ने जगत कल्याण के लिए मां भगवती दुर्गा सप्तशती चंडी,को मार्कंडेय की पुराण DD रचना कर अपने गुरु महर्षि वेदव्यास जी की प्रेरणा से मार्कंडेय पुराण की रचना की थी तथा मां भगवती दुर्गा सप्तशती को जगत कल्याण के लिए महादेव के साथ शादी करने के लिए प्रेरित किया था तथा मां भगवती दुर्गा सप्तसती चंडी ने बाल्यावस्था में महादेव की शिवलिंग रूप में पूजा अर्चना करने के लिए प्रेरित किया तथा हिमालय नरेश की राजकुमारी होने के बाद भी मां भगवती दुर्गा सप्तशती ने महादेव के साथ शादी करने के लिए जगत कल्याण के इस सृष्टि की संरचना के लिए महादेव को शादी करने के लिए विवश किया तथा इस इस सृष्टि पर कन्याओं के लिए प्रेरणा बनकर "पति परमेश्वर" के रूप में उनकी पूजा अर्चना करने की प्रेरणा दी ताकि आने वाली पीढ़ियां "महादेव और पार्वती" की तरह पारिवारिक जीवन का निर्माण कर अपने परिवार के लिए समर्पित भाव से एक दूसरे के प्रति सद्भावना और प्यार से जीने की कला प्रेरणा रूप में दी ताकि इस सृष्टि में गृहस्थ जीवन की कठिनाइयों का सामना करते हुए समाज में पति-पत्नी को एक सूत्र का सूत्र बनकर पारिवारिक जीवन का निर्वाह करने लिए प्रेरित किया उसके बाद इस सृष्टि पर मनुष्य ने "महादेव व पार्वती' से प्रेरणा लेकर संतानों उत्पत्ति कर जगत कल्याण के लिए के लिए सहयोग किया तथा उनको अपना इष्ट देव मानकर हर गांव शहर में ,"मनेश्वर महादेव" के मंदिर विद्यमान है जिन में प्रतिदिन पति-पत्नी दोनों पूजा अर्चना कर अपने परिवार के सुख समृद्धि की कामना करते हैं तथा आशीष बात प्राप्त कर अपने रोजमर्रा के कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं और हर घड़ी हर पल ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए प्रभु भक्ति में लीन रहकर अपने रोजमर्रा के कार्यों में व्यस्त रहते हैं यही हमारी सभ्य संस्कृति हिंदू सनातन सन्या संस्कृति की पहचान है कि हम इस धरती पर जहां पर पेड़ पौधे पशु पक्षियों और भगवान की प्रतिमाओं बनाकर पत्थरों को पूछते हैं यही हमारी पहचान है और यही हमारी सभ्य संस्कृति की पहचान को पहचान को बनाए हुए हम सब परिवारों और रिश्तेदारों को एक सूत्र में बनती है एक सूत्र में बनती है और हम एक दूसरे के प्रति सद्भावना और प्यार से मनमुटाव होते हुए भी एक हो जाते हैं इसी एकता के कारण शताब्दियों शताब्दियों से हमारे सभ्य संस्कृति अभी जिंदा है उसे संस्कृति को अन्य धर्म के लोग भी अपना कर अपने जीवन को धन्य कर रहे हैं और प्रभु भक्ति में प्रभु भक्ति मे समर्पित है है

Sanouri News

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Crrospount Punjajb keshri kandrour (Mansingh) Bilaspur Himachal Pradesh

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